अप्रैल २९, २०२०
आज का लेख हिंदी में लिख रही हूँ।
यूं तो हम केवल ३ साल साथ पढ़े थे पर उतने ही समय में एक दूसरे को ऐसे जान गए जैसे बचपन से साथ हों। स्कूल में घुटने से घुटना मिला कर दरी पर बैठते थे, कभी उनका घुटना ऊपर तो कभी हमारा। ये मित्र आजकल अपना आराम देय पहाड़ छोड़ मुंबई की माया नगरी में अपना जीवन यापन कर रही हैं।
इस lockdown के दौरान वो मित्रों में पहलीं थी जिन्होंने कुशलक्षेम पूछी। बाकी समय तो हमारी बात बहुधा नहीं होती पर आजकल हर सप्ताह दो सप्ताह में कुशल मंगल पूछने का कार्यक्रम दोनों ही ओर से चल रहा था।
वार्तालाप का विषय corona की भयाक्रांत स्थिति के अलावा अन्तःकरण के अन्य विषय होते रहे। दिल्ली की तब्लीग़ी जमात के कारण अपने पुश्तैनी गांव में क्या हलचल हुई इस बात का भी खेद था। सोबन सिंह बेस अस्पताल की स्थिति दोनों को ही ज्ञात थी। इस बीच उसका प्रश्न - क्यों अपने पहाड़ छोड़ मुंबई आ गए। उत्तर में मुझसे भी रुका नहीं गया - बहन तुम मुंबई चली गईं और हम यहां दूर सात समुद्र पार।
थोड़ी सांत्वना देने को मैने भी कह दिया कि अब बस जल्दी पहाड़ ही वापस जायेंगे। बातों ही बातों में बात पहाड़ी और उनके सीधेपन पर आ गयी। इतनी सीधे तो ताड़ के पेड़ ही होते हैं, कहां कोई हमें समझ सकता है। विषय को गंभीरता से थोड़ा हटाने के लिए चर्चा का विषय खाने पर आ गया। तो मेरी मित्र बोलीं, व्यंजन भी कहां समझ सकते हैं हम पहाड़ियों के।
भट्ट का जौला कहो तो पूछते हैं कि उसमे क्या-क्या पड़ता है। ‘कुछ भी नहीं पड़ता’ कहो तो उन्हे लगता है ये कैसा पकवान हुआ।
शायद भट्ट के जौले की विधि पढ़ के ही उन्हें समझ आ सकता है। आपको भी अपने पहाड़ के इस अनूठे व्यंजन से परिचित कराते हैं -
'भट्ट' एक प्रकार के काले सोयाबीन हैं जो उत्तराखंड में बहुत प्रकार से बना कर खाया जाता है. जौला, चुड़कानी, डुबके इनमे कुछ हैं। इन सब में जौला सबसे सरल और सुपाच्य है। इसे भीगी भट्ट की दाल को सिल-बट्टे पर पीस कर चावल के साथ कढ़ाई में पानी डाल के पका कर बनाया जाता है। इसमें, तेल, नमक, मसाले नहीं डाले जाते। बस खाते समय ऊपर से हरा नमक डाल के खाया जाता है।
'भट्ट' एक प्रकार के काले सोयाबीन हैं जो उत्तराखंड में बहुत प्रकार से बना कर खाया जाता है. जौला, चुड़कानी, डुबके इनमे कुछ हैं। इन सब में जौला सबसे सरल और सुपाच्य है। इसे भीगी भट्ट की दाल को सिल-बट्टे पर पीस कर चावल के साथ कढ़ाई में पानी डाल के पका कर बनाया जाता है। इसमें, तेल, नमक, मसाले नहीं डाले जाते। बस खाते समय ऊपर से हरा नमक डाल के खाया जाता है।
अब आप पूछेंगे कि नमक 'हरा' कब से होने लगा?
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