नवम्बर १२, २०२०
कुछ वर्ष पूर्व दीपावली की स्मृतियों पर लिखा था, हर वर्ष का यही क्रम है, दीपावली आते ही बचपन की अनमोल यादें सतह पर आ जाती हैं -
आज वो बचपन के दीपावली के दिन याद आ रहे हैं.......
अम्मा और उनका ऐपण देने के लिए बुलाते रहना,
वो दीयों को पानी में भिगोना,
और पटाखों को दिन भर धूप में सुखाना,
लक्ष्मी जी की मूर्ति बनाने को मम्मी का साथ देना,
नए कपड़ों को पहनने के लिए मचलना,
लक्ष्मी पूजा के लिए पूरे घर को साथ बुलाना,
दिन भर काले साँप वाली गोलियां जलाना ,
फिर रात को अनार की रोशनी में उछलना,
सैर करते हुए नानी के घर दिवाली मनाने जाना,
मन भर जाने पर भी एक और मिठाई खाना,
और अगली सुबह पूरे मोहल्ले में दिवाली के खील मिठाई बांटने जाना
आज वो बचपन के दीपावली के दिन याद आ रहे हैं ....
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